आकर देना होगा समय कोसमाज की अनुगूँज के साथ , आकर देना होगा समय कोसमाज की अनुगूँज के साथ ,
चाहतों का चादर सिमट कर रूमाल सा बस रह गया है चाहतों का चादर सिमट कर रूमाल सा बस रह गया है
क्यों उम्मीद आज भी बस बेटों से रखता है समाज क्यों कुछ अच्छा करने पर बेटी को बेटा कहता क्यों उम्मीद आज भी बस बेटों से रखता है समाज क्यों कुछ अच्छा करने पर बेटी को ब...
खामख्वाह ही शिकायतें वक़्त की करता है तू, बस तेरा कर्म ही तेरा अच्छा वक़्त लाएगा। खामख्वाह ही शिकायतें वक़्त की करता है तू, बस तेरा कर्म ही तेरा अच्छा वक़्त लाएग...
कभी लगा जोर का ठोकर उसके ताकत से ही वह बल खाएगा I कभी लगा जोर का ठोकर उसके ताकत से ही वह बल खाएगा I